भारत ने हाल ही में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्ला अली ख़ामेनेई द्वारा भारतीय मुसलमानों पर की गई टिप्पणियों की कड़ी निंदा की है, जिन्हें “गलतफहमी” और “अस्वीकृत” करार दिया है। ख़ामेनेई ने प्रोफेट मोहम्मद के जन्मदिन के मौके पर ये टिप्पणियां कीं, जिसमें उन्होंने भारतीय मुसलमानों की स्थिति की तुलना गाज़ा और म्यांमार के लोगों से की।भारत की विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया में कहा कि जिन देशों को अल्पसंख्यकों पर टिप्पणी करने की आदत है, उन्हें पहले अपनी खुद की स्थिति पर गौर करना चाहिए।
यह बयान ईरानी नेता की टिप्पणियों से भारत की निराशा को दर्शाता है, खासकर जब ईरान और इज़राइल के बीच चल रही तनातनी को ध्यान में रखा जाए, जो दिल्ली को भी प्रभावित करती है।भारत ईरान और इज़राइल दोनों के साथ महत्वपूर्ण संबंध बनाए रखता है।
जबकि वह मध्य पूर्व से, विशेषकर ईरान से, अपने तेल का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है, वहीं वह इज़राइल के साथ रक्षा और सुरक्षा में भी एक बढ़ती हुई रणनीतिक साझेदारी में शामिल है।
दोनों देश आतंकवाद के खतरे को लेकर चिंतित हैं, और यह भावना मुम्बई के 26/11 आतंकी हमले जैसे आपसी अनुभवों से प्रकट होती है।भारत की प्रतिक्रिया इस बात को दर्शाती है कि वह अपनी विदेशी नीतियों में कितनी सावधानी बरतता है, दोनों तेहरान और तेल अवीव के साथ संबंधों को संभालते हुए अंतर्राष्ट्रीय आलोचनाओं और आंतरिक चिंताओं को भी ध्यान में रखता है।